दोस्तो जब जब इंसानो पर कोई दिकात आइ है तब भगवान किसी भी रूप में आके उनकी मदद करते है लेकिन अगर इसका उल्टा हो जाए और भगवान के ऊपर अगर कोई आपदा आ जाए तो इंसान किस हद तक जाके भगवान की मदद कर सकता है आज आप वही जानोगे आज में आपको भगवान जगन्नाथ के मंदिर पर हुए 17 हमलो की पुरो जानकारी देने वाला हु।
मंदिर पर पहला हमला सन 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने किआ था जिस समय हमला हुआ तब ओडिशा को उत्कल राज्ये के नाम से जाना जाता था उत्कल के उस समय सम्राट नरसिंह देव त्रितये वहा के राजा थे इलियास शाह ने अपने सैनिकों के साथ पूरे मंदिर परिषर में बोहत निर्दोष लोगों का खून बहाया लेकिन सम्राट नरसिंह देव भगवान की तीनों मूर्तियों को बचाने में सफल रहे थे उन्होंने भगवान की तीनों मूर्तियो को कही छुपा दिया था।
मंदिर पर दूसरा हमला दिल्ली के सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुगलक ने किआ था जो कि 1360 में किआ गया था ओर उस समय उत्कल के सम्राट भानुदेव त्रितये ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि मूर्तियो को चुप दिया जाए और दूसरी तरफ खुद फ़िरोज़ शाह तुगलक के लड़ाई करते रहे ।
मंदिर पर तीसरा हमला 1509 में हुआ था जो कि बंगाल के सुल्तान अलाउदीन हुसैन शाह के कमांडर स्माइल शाह ने किआ था लेकिन इस बार मंदिर के पुजारियो ने अपनी सूझ बूझ दिखाते हुए भगवान की तीनों मूर्तियो एक ऐसी जगह छुपा दिया जिसके बारे में उस समय कोई नही जानता था और इस घटना के बाद लोग इस जगह को चिलिका झील के नाम से जानने लगे इस झील के बीचों बीच एक टापू पर मुर्तिया छुपाई गई थी ये जगह बंगाल की खाड़ी में मौजूद है।
मंदिर पर चौथा हमला वर्ष 1568 में किआ गया था और ये हमला मंदिर पर हुए सभी हमलो में सबसे ज्यादा ताकतवर हमला था जो कि एक अफगानी ने किआ था जिसका नाम काला पहाड़ था हमले से पहले है मूर्तियो को दुबारा चिलिका झील के पास छुपा दिया गया था लेकिन फिर भी हमलावरों ने मंदिरो की कुछ मूर्तियो को जलाकर नस्ट कर दिया था ओर इस हमले में मंदिर की वास्तुकला को बोहत नुकसान पाहुचा था ।
मंदिर पर पांचवा हमला वर्ष 1592 में हुआ था जो कि ओडिशा के सुल्तान इर्षा उष्मन ओर कुथु खान के बेटे सुलेमान ने किआ था इस हमले में लगभग 100 से भी ज्यादा निर्दोष लोगों को मार गया और साथ मे मूर्तियो को भी अपवित्र किआ गया लेकिन इस हमले में भी मूर्तियो को कोई नुकसान नही पाहुचा था।
मंदिर पर छठा हमला 1601 में बंगाल के नवाब इस्लाम खान के कमांडर मिर्जा खुर्रम ने किआ था इस बार भी मंदिर के पुजारियो ने मूर्तियो को भार्गवी नदी के रास्ते नाव के दुआरा पूरी के पास एक गांव कपिलेश्वर में छुपा दिया।
मंदिर में सातवा हमला 1602 में ओडिशा के सुवेदर हासिम खान ने किआ लेकिन हमले से पहले मूर्तियो को खुर्दा के गोपाल मंदिर में छुपा दिया था।
मंदिर पर आठवा हमला 1608 में हुआ था हमला हासिम खान की सेना में काम करने वाले एक हिन्दू जागीरदार ने किआ था और जिस समय हमला हुआ तब मंदिर में मुर्तिया नही थी हमलावर सर्फ मंदिर का खजाना लूट कर ले गए थे।
मंदिर पर नोवा हमला वर्ष 1611 में हुआ था जब मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल के बेटे राजा कल्यादमल ने किआ था इस बार भी पुजारियो ने मूर्तियो को बंगाल की खाड़ी में एक टापू पर छुपा दिया था ।
मंदिर पर दशवा हमला नोवे हमले के कुछ महीनों बाद ही कल्यादमल ने किआ था जिसमे मंदिर को बोहत बुरी तरह लुटा गया
मंदिर पर ग्यारवे हमला वर्ष 1617 में हुआ था जो कि दिल्ली के बादशाह जहांगीर के सेनापति मुकर्रम खान ने किआ था उस समय मंदिर के मूर्तियो को गोबपदुआर नामक जगह पर छुपा दिया गया था ।
मंदिर पर बारवा हमला वर्ष 1621 में किआ गया था जो कि ओडिशा के मुगल गवरनर मिर्जा अहमद बैग ने किआ था मुगल बादशाह शाहजहा ने एक बार ओडिशा का दौरा किया था तब भी मूर्तियो को छुपा दिया गया था कर हमके से पहले भी मूर्तियो को राजा के आदेश पर पुजारियो ने कही छुपा दिया था
मंदिर पर तेहरवा हमला वर्ष 1631 में इस हमले को अंजाम दिया गया था ये हमला ओडिशा के मुगल गवर्नर मिर्जा मक्की ने किआ था इस हमले में मिर्जा मक्की सर्फ लूट कर पाया था
मंदिर पर चौदहवाँ हमला भी मिर्जा मक्की ने है किआ था ये हमला तेहरवे हमले के कुछ महीनों बाद है किआ गया था ।
मंदिर पर पनन्दरवा हमला 1642 में किआ गया था जो कि आमिर फतह खान ने किआ था उसमे मंदिर में मौजूद खजाने में से बड़ी मात्रा में हीरे, मोती ओर सोना लूट लिया गया था
मंदिर पर शोलवा हमला मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर वर्ष 1692 में हुआ औरंगजेब ने मंदिर को पुरो तरह नस्ट करने का आदेश दिया था उस समय ओडिशा का नबाब इकराम खान था जो कि मुगलो के अधीन था इकराम खान में मंदिर पर हमला कर के भगवान के सोने के मुकुट लूट लिए थे और मंदिर को भी बोहत शती पोहुचाई थी।
मंदिर पर सत्रवा हमला ओर आखरी हमला 1699 में हुआ था जो कि मोहम्द तकी खान ने किआ था इन बार भी मूर्तियो को छुपा दिया गया था और बार बार मूर्तियो को एक जगह आए दूसरे जगजे छुपाया गया और इसी हमले में मूर्तियो को हैदराबाद में भी छुपाया गया था ।
धन्यवाद
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