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क्या होता है टाइम कैप्सूल ? क्यों दफनाया जाता है टाइम कैप्सूल को ? क्यों दफनाया जाता है टाइम कैप्सूल को ?

 दोस्तो हाल फिलाल के कुछ समय मे अपने ये बात बोहत बार सुन्नी होगगी की अयोध्या में बन रहे राम जन्म भूमि मंदिर में एक टाइम कैप्सूल को रखा जाना आखिर क्या होता है टाइम कैप्सूल क्यों दफनाया जाता है टाइम कैप्सूल को क्या चीज़ होत्ती है टाइम कैप्सूल के अंदर ओर सबसे पहला टाइम कैप्सूल कब बना था और कहा दफनाया गया था  में आपसे ये वादा करता हु की इस  के बाद आपको टाइम कैप्सूल के ऊपर कोई डाउट नही रहेगा और आखिर में आप खुद कमेंट बॉक्स में बताना की क्या आपको ओर किसी से ऐसी इन्फॉर्मेशन मिलती है |


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टाइम कैप्सूलये काफी सारी अलग अलग धातुओ को मिलाके बनाया जाता है इसके ऊपर किसी भी तरीके के मौसम का कोई असर नही होता ओर जमीन के अंदर किस भी तरीके के बैक्टीरिया या फंगस का भी इसके ऊपर कोई असर नही होता दुनिका में सबसे पहला टाइम कैप्सूल 1761 दफनाया गया था इसके अंदर उस समय के कुछ सीके ओर कुछ कागज के दस्तावेज छुपाये गए थे लेकिन  इसे साल 1940 में निकल लिए गया था ये देखने के लिए की इसके अंदर रखी गयी चिको को कोई नुकसान तो नही हुआ ना ओर जब इसे निकला गया तो इसके अनदर की सब्बि चीजे बिल्कुल सेफ थी ये तो बात रही  पहले टाइम कैप्सूल की लेकिन टाइम कैप्सूल बनाया क्यों गया था आज हमारे सौर मंडल में सिर्फ पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जहाँ जेवन मौजूद है लेकिन इस बात को तो हम सुब जानते है कि पृथ्वी पर भी कभी न कभी कोई आपदा आएगी और जीवन यह से भी खत्म हो जाएगा लेकिन भगवान ने करे कि ऐसा हो  लेकिन अगर ऐसा हुआ तो हमारी पृथ्वी में ऐसे गुण मौजूद की अगर यहा जेवन खत्म हो भी जाए तो भी अगले 2000 या 3000 सल्लो के अंदर यहाँ दुबारा जेवन पनप सकता है और जब यहां दुबारा जीबन पनपे तो वो इन् टाइम कैप्सूल के अंदर से ये सबूत ले पाएंगे कि उन से पहले भी यहा जेवन था ये तो रहा पहला रीज़न अब दूसरा रीजन ये है कि अगर किसी जगह पर कोई नई चीज बनाई जाती है या उसकी नव रखी जाती है तब इस टाइम कैप्सूल को वहां रख दिया जाता है जिससे अगर फ्यूचर में उस जगहे को लेके कोई समस्या आई तो उस टाइम कैप्सूल को निकाल कर देख सकते है कि आखिर उस चीज को कब बनाया गया था किसने बनाया था और खर्चा कितना आया था और सभी सरकारी कागजो की डुप्लीकेट कॉपीज भी उसके अंदर सनरक्षित करके रखी जा सकती है आज से पहले भी ना जाने कितनी सभ्यता कितनीसल्लो के अंदर यहाँ दुबारा जेवन पनप सकता है और जब यहां दुबारा जीबन पनपे तो वो इन् टाइम कैप्सूल के अंदर से ये सबूत ले पाएंगे कि उन से पहले भी यहा जेवन था ये तो रहा पहला रीज़न अब दूसरा रीजन ये है कि अगर किसी जगह पर कोई नई चीज बनाई जाती है या उसकी नव रखी जाती है तब इस टाइम कैप्सूल को वहां रख दिया जाता है जिससे अगर फ्यूचर में उस जगहे को लेके कोई समस्या आई तो उस टाइम कैप्सूल को निकाल कर देख सकते है कि आखिर उस चीज को कब बनाया गया था किसने बनाया था और खर्चा कितना आया था और सभी सरकारी कागजो की डुप्लीकेट कॉपीज भी उसके अंदर सनरक्षित करके रखी जा सकती है आज से पहले भी ना जाने कितनी सभ्यता कितनी भाषा हमारे पृथ्वी पर मौजूद थी लेकिन समय के साथ उनका भी नास होता गया लेकिन आज हमारे पास उसका कोई ठोस सबूत मौजूद नही है लेकिन हम ये ग़लती दुबारा ना दोहराये इस लिए टाइम कैप्सूल बनाया गया था जिसे की हमारे आने वाली पीढ़ी को ये पता रहे कि उनके पूर्वज यांनी की हम कैसे थे और हमारी जीवन शैली केसी थी |

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जिस समय दुतिये विश्व यिउध चल रहा था टब हिटलर परमाणु बम बनाने लिया था लेकिन अमेरिका को डर था कि उसके देश के ऊपर खतरा है तो अमेरिका ने एक टाइम कैप्सूल में अपने देश के रिसर्च, देश की भूगोल स्तिति ओर कुछ करांसीय उसके अंदर रख कर जमीन में दफना दिया था लेकिन अमेरिका ने ये नियम बनाया था कि अगर उनका देश खत्म हो जाता है तो उसे उसी बक्त निकल दिया जाए लेकिन अगर अमेरिका बच्च गया तो उसस कैप्सूल को सन 6939 से पहले न निकला जाए आज वो कैप्सूल औग्निथोर कॉलेज के अंदर रखा गया है और वह दीवार पर लिखा है कि इस जगह पर साल 6939 में खुदाई करना भारत मे इस से पहले भी टाइम कैप्सूल रखा गया था भारत की पहली लेडी प्राइम मिनिस्टर सोनिया गांधी जी ने  लाल किले में एक टाइम कैप्सूल को 15 अगस्त 1973 के दिन दफनाया था जिसमे भारत के आजाद होने के बाद के 25 सल्लो में क्या हुआ उसका जिक्र था और साथ है में महत्मा गांधी और जवारलाल नेहरू की कुछ फोटोज ओर हमारे देश के कुछ सीके दफनाए थे और ये कुल 125 किलो का था  इसे इंडिया के दिल्ली नेशनल फिजिक्स लेबोरेटरी ने बनाया था  ओर इसके अंदर बिल्कुल भी हवा नही थी साइंटिस्ट को डर था कि कही हवा के दबाब के बजे से अंदर रखी चिज्जे कही खराब न हो जाए लेकिन अभी वो कैप्सूल वह नही है 8 दिसंबर 1977 के दिन नाइ सरकार ने ये कहके इस कैप्सूल को बाहर निकल दिया कि इसके अंदर की जानकारी संहि नही है |




 लेकिन 27 मई 1977 के दिन जवरलाल नेहरू के कब्र के पास दफनाई एक कैप्सूल आज तक वही है  ओर 30 जनुअरी 1973 के दिन बिरला हाउस के नीचे दफनाई एक टाइम कैप्सूल आज तक वही पर मौजूद है ओर इसे इसके दफनाने के 1000 साल बाद यानी कि साल 2973 में खोला जाएगा ओर जो टाइम कैप्सुके राम मंदिर के नीचे गाढ़ा जा रहा है उसका कुल बजन 250 किलो से लेके 300 किलो या उससे ज्यादा होंने वाला है ये मंदिर के बीचो बीच एक खाली स्थान पर दफनाया जाएगा इसकी कुल गहराई 2000फ़ीट होगी इसके अंदर संस्कृत भासा में राम मंदिर के लिए करि गयी पूरे  संगर्ष को एक कॉपर के प्लेट पर लिखा जाएगा और साथ ही में मंदिर की विसेसत का भी बरनन किआ जाएगा और आज के समय मे तो जैसे साइंस ओर टेक्नोलॉजी विकसित हुई है वैसे है टाइम कैप्सूल भी अब बोहत एडवांस हो गए है आज के समय मे हमारे साइंटिस्ट पूरा एक सैटेलाइट को ही टाइम कैप्सूल बनके स्पेस मव भेज रही है इस टाइम कैप्सूल में पूरी पृथ्वी की सारी अहम जानकारी के साथ सभी देशों की जनशंखिया ओर उनकी देशो की सभी भसाये ओर  भी काफी कुछ इसके अंदर कलेक्ट करके स्पेस में भेज दिया जाएगा और ये स्पेस में अगले 50 हजार सालो तक सूर्ये ऊर्जा से घूमता रहेगा और जब इसके 50 हजार साल पूरे हो जाएंगे टब ये एक पैराशूट की मदद से जमीन पर गिर जाएगा हम इंसानो ने तो हमारी अगली पीढ़ी के लिए काफी अलग अलग सबूत रख दिए है लेकिन अब ये सबूत उन्हें मिल पाएंगे या नही वो तो भविस्ये ही बतौएगा |                                                                               

                                                                     धनयवाद   

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